भारत का संविधान (97 वां संशोधन) अधिनियम, 2011 के अनुच्छेद 243 ZK तथा उक्त क्रम में उत्तराखण्ड सहकारी समिति (संशोधन) विधेयक, 22 मार्च 2013, के पारित होने केे क्रम में उत्तराखण्ड राज्य में सहकारी समितियों के स्वतंत्र एवं निश्पक्ष निर्वाचन हेतु इस सम्बन्ध में निहित प्राविधानों के अनुसार ’’सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण’’ का गठन किया गया।

जिसके अन्तर्गत सहकारी समितियोें की प्रबन्ध कमेटी में लोकतांत्रिक स्वरूप और आरक्षण मानक सुनिष्चित करते हुए उत्तराखण्ड सहकारी समिति अधिनियम, 2003 की धारा 29(3) में संषोधन करते हुये प्रत्येक सहकारी समिति की प्रबन्ध कमेटी के पुनर्गठन हेतु निर्वाचन राज्य सरकार द्वारा गठित स्वतंत्र सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण के अधीक्षण, नियंत्रण और निर्देषों के अधीन विहित रीति से करने की व्यवस्था की गयी है।

उत्तरदायित्व

1. बहिर्गामी बोर्ड के सदस्यों का कार्यकाल पूर्ण होते ही बोर्ड के नवनिर्वाचित सदस्य कार्यभार ग्रहण कर लें, सम्बन्धित विभागों से प्राप्त अनुरोध, विवरण एवं सूचना के आधार पर लागू आदेष, अधिनियम, नियम एवं उपविधियों के अनुसार बोर्ड की कार्यकाल की समाप्ति से पूर्व निर्वाचन सम्पन्न कराना।

2. सहकारी समितियों के समस्त निर्वाचनों का अधीक्षण, निर्देषन तथा मतदाता सूचियों की तैयारी पर नियन्त्रण रखना।

3. सहकारी समितियों के निर्वाचन के सम्बन्ध में समय-समय पर सम्बन्धित विभागों से आवश्यकता के अनुरूप कार्मिकों का सहयोग, सूचनाएं तथा ऐसे अभिलेख जो आवष्यक हों, प्राप्त करना तथा इस सम्बन्ध में ऐसे निर्देष जारी करना जो आवश्यक हों।

सहकारी समितियों के निर्वाचन हेतु सम्बन्धित अधिकारी

1- सहकारी निर्वाचन प्राधिकरण
2- सम्बन्धित जिला मजिस्ट्रेट/जिला सहकारी निर्वाचन अधिकारी
3- मण्डलीय सहकारी निर्वाचन अधिकारी
4- सम्बन्धित जिला सहायक निबन्धक/जिला सहायक सहकारी निर्वाचन अधिकरी
6- सम्बन्धित समिति के निर्वाचन अधिकारी